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जेएनयू के महामारी पर नियंत्रण जरूरी : दिल्ली हाईकोर्ट

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नई दिल्ली :

जेएनयू में विगत 9 फरवरी को हुए विवादित कार्यक्रम में जो पोस्टर और नारे लगाए गए थे उसे दिल्ली हाईकोर्ट ने संक्रमण बताया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि यह संक्रमण जेएनयू के छात्रों में फैल गया है और यह महामारी का रूप ले इससे पहले इस पर नियंत्रण जरूरी है.

यह राष्ट्रविरोधी नारे लगाने का मामला है जिसका राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा पैदा करने का प्रभाव है. कन्हैया को सशर्त राहत देने वाले उच्च न्यायालय ने कहा कि वह ऐसी किसी गतिविधि में सक्रिय या निष्क्रिय रूप से हिस्सा नहीं लेंगे जिसे राष्ट्रविरोधी कहा जाए.

हाईकोर्ट ने कहा है कि नारेबाजी व पोस्टरों में जिस तरह का विरोध हुआ या भावनाएं जाहिर की गईं उससे छात्र समुदाय को आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है. हाईकोर्ट ने कहा है कि इस तरह की गतिविधियों से शहीद के परिवारों का मनोबल गिरता है जो सीमा पर देश की रक्षा करते हुए बलिदान देते हैं.

जस्टिस प्रतिभा रानी ने कहा है कि जेएनयू के शिक्षकों को रास्ते से भटके छात्रों को सही रास्ते पर लाने में भूमिका निभानी चाहिए, जिससे कि वे देश के विकास में योगदान दे सकें, उस लक्ष्य को प्राप्त कर सकें जिसके लिए जेएनयू की स्थापना हुई.

जेएनयू में कार्यक्रम में जो भी नारे या पोस्टर लगाए गए थे, उसे अभिव्यक्ति की आजादी नहीं कही जा सकती. प्रत्येक व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार है लेकिन यह अधिकार संविधान के दायरे में होनी चाहिए. अनुच्छेद 51ए में जिम्मेदारियां भी हैं. अदालत ने हिन्दी फिल्म ‘उपकार’ के देशभक्ति गीत का हवाला देते हुए यह बात रखी कि जेएनयू परिसर में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.

क्या कुछ कहा हाई कोर्ट ने –

न्यायाधीश ने जमानत आदेश की शुरुआत में देशभक्ति फिल्म उपकार के गीत की पंक्तियाँ दुहराते हुए कहा कि ‘रंग हरा हरिसिंह नलवा से, रंग लाल है लाल बहादुर से, रंग बना बसंती भगत सिंह, रंग अमन का वीर जवाहर से, मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती, मेरे देश की धरती.’

ये राष्ट्रभक्ति से भरा गीत संकेत देता है कि हमारी मातृभूमि के प्रति प्यार के अलग-अलग रंग हैं. वसंत के इस मौसम में जब चारों ओर हरियाली है और चारों ओर फूल खिले हुए हैं, ऐसे में जेएनयू कैंपस से शांति का रंग क्यों गायब हो रहा है.
कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति के अधिकार के साथ हमारे कुछ कर्तव्य भी हैं, जिसे समझने की जरूरत है. अगर कोई आजादी के नारे लगाता है, तो वह यह नहीं सोच पाता कि वह सुरक्षित इसलिए है क्योंकि हमारे जवान वहां अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं, जहां ऑक्सीजन तक नहीं है.

यह विचार करने योग्य बातें हैं कि जिस तरह से छात्रों के बीच एक संक्रमण फैला है, उसे कंट्रोल करना जरूरी है. इससे पहले की यह महामारी का रूप ले ले, इसे खत्म करना होगा.


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