नई दिल्ली :
भारतीय जनता पार्टी ने इशरत जहां मुठभेड़ मामले में गृहमंत्रालय के एक पूर्व अधिकारी के बयान के बाद तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदम्बरम और कांग्रेस के अन्य प्रमुख नेताओं की व्यापक जांच कराने की मांग की है. पूर्व अवर सचिव आर. वी. एस. मणि ने कहा था कि इशरत जहां मुठभेड़ के सिलसिले में उन पर हलफनामा दाखिल करने के लिए दबाव बनाया गया था. उन्होंने एक निजी टी. वी. चैनल को बताया कि उच्चतम न्यायालय में दूसरा हलफनामा दाखिल करने के लिए उन पर दबाव डाला गया. इस हलफनामे में इशरत जहां के लश्कर-ए-तैयबा गुट से ताल्लुक होने की बात हटा ली गई थी.
इससे पहले पूर्व गृह सचिव जी. के. पिल्लई ने भी दावा किया था कि 2009 में दाखिल हलफनामे से इशरत और लश्कर के बीच ताल्लुक की बात हटाने के लिए राजनीतिक दबाव डाला गया था. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रवि शंकर प्रसाद ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि सबूत होने के बावजूद पूर्व गृह मंत्री ने खुफिया एजेंसियों की विश्वसनीयता पर सवाल क्यों उठाया.
अब सिर्फ नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को फंसाने के लिए देश की पूरी सुरक्षा एजेंसी की क्रेडिबिलिटी पर सवाल कर रहे हैं और यह बात इससे और जाहिर हो जाती है कि उन्होंने अपने होम सेक्रेटरी को बाइपास किया और अब आप देख रहे हैं कि उस समय के अंडर सेक्रेटरी सिक्यूरिटी की के साथ क्या गवाह दिया गया. हमारा आरोप है कि चिदम्बरम ये काम खुद नहीं कर रहे थे, इस काम को करने के लिए कांग्रेस के टॉप हाई-कमान का उनको निर्देश था.
उधर, कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाया है कि वह सिर्फ महज राजनीतिक लाभ उठाने के लिए झूठा दुष्प्रचार कर रही है. कल नई दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पार्टी ने अदालत में या विधि सम्मत तरीके से इशरत जहां का दोष सिद्ध किए जाने के मुद्दे का कभी समर्थन या विरोध नहीं किया.