नई दिल्ली :
राज्यसभा में विपक्षी दलों के सदस्यों ने दिल्ली में यमुना नदी के किनारे “विश्व संस्कृति महोत्सव” आयोजित करने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविशंकर को अनुमति देने पर सरकार के खिलाफ नारे लगाये. नारे लगाते हुए विपक्षी सदस्य सदन के बीचोंबीच आ गये. शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए जनता दल युनाइटेड के शरद यादव, कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद और एम एस गिल ने सम्मलेन के लिए मिली अनुमति की आलोचना करते हुए कहा कि इससे पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील इस क्षेत्र और पास के पक्षी अभ्यारण्य को नुकसान होगा.
राज्यसभा के नेता और वित्तमंत्री अरूण जेटली ने अदालत या राष्ट्रीय हरित अधिकरण में चल रहे मुद्दे को सदन में उठाने पर आपत्ति की. उन्होंने कहा कि किसी मुद्दे पर एक अदालत या अधिकरण और संसद में समानांतर प्रक्रिया नहीं चल सकती.
इस बीच, पर्यटन और संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने कहा है कि श्री श्री रविशंकर का संस्कृति महोत्सव विश्व के समक्ष भारतीय संस्कृति के प्रदर्शन का एक अच्छा अवसर है. संसद से बाहर महेश शर्मा ने कहा कि आयोजन के दौरान पर्यावरण और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है.
इस आयोजन के माध्यम से भारत की संस्कृति को विश्व के कोनों में शोकेस करने का हमें अच्छा अवसर मिला है. विभिन्न देशों से देश के कोने-कोने से लोग यहां आ रहे हैं. हमें उनका सम्मान करना चाहिए. पर्यावरण और सुरक्षा व्यवस्था के जो भी विषय हैं,उनको भी शास्वत रूप से ध्यान देकर हमें इस आयोजन को आगे बढ़ाना चाहिए.
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने आज राष्ट्रीय हरित अधिकरण को बताया कि उसने आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के समारोह को अनुमति नहीं दी है. यमुना बाढ़ क्षेत्र में इस समारोह पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने पर्यावरणीय मंजूरी के संबंध में हलफनामा दायर न करने के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय को फटकार लगायी.
राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कल पर्यावरण मंत्रालय से हलफनामा आज दायर करने को कहा था. अधिकरण ने यह भी कहा था कि अस्थायी ढांचा बनाने के लिए पर्यावरणीय मंजूरी की जरूरत क्यों नहीं है.
पीठ इस समारोह के लिए बाढ़ क्षेत्र पर जारी निर्माण कार्य को रोकने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रही है.